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Showing posts from March, 2023

Roze se mutàlliq bunyadi baten | रमज़ान से मुतल्लिक ज़रूरी बातें

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روزے سے متعلق بنیادی باتیں *روزے کی حقیقت:* شریعت کی نظر میں صبح صادق سے لے کر سورج غروب ہونے تک عبادت کی نیت سے کھانے پینے اور جنسی خواہش پوری کرنے سے بچنے کو روزہ کہتے ہیں۔ (رد المحتار، الاختیار) *روزے کی اقسام:* حکم اور درجے کے اعتبار سے روزے کی متعدد اقسام ہیں: ▪ * فرض روزے :* جیسے ماہِ رمضان کے روزے۔ ▪ * واجب روزے :* جیسے نذر اور منت کے روزے۔ ▪ * مسنون اور مستحب روزے :* جیسے ایامِ بیض کے تین روزے، پیر اور جمعرات کے روزے، عاشورا کا روزہ وغیرہ۔ ▪ * نفلی روزے :* جیسے عام دنوں کے نفلی روزے۔ ▪ * ممنوع اور مکروہ روزے :* جیسے عیدین کے دن روزہ رکھنا۔ ان کی تفصیل متعلقہ فقہی کتب میں دیکھی جاسکتی ہے، ذیل میں صرف ماہِ رمضان کے روزوں کے مسائل ذکر کیے جاتے ہیں۔ ماہِ رمضان کے روزے اسلام کا ایک اہم رکن: دین اسلام میں ماہِ رمضان کے روزے فرض قرار دیے گئے ہیں بلکہ انھیں اسلام کے ارکان اور فرائض میں سے ایک اہم رکن اور فرض کی حیثیت دی گئی ہے، جس سے ان کی اہمیت کا بخوبی اندازہ لگایا جاسکتا ہے۔ قرآن وحدیث میں ماہِ رمضان کے روزوں کی بڑی اہمیت، فضیلت اور تاکید بیان کی گئی ہے۔ یہ روزے ماہِ رمضان ا...

वहाबिया की इज्माली शिनाख़्त

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👹वहाबिया की इज्माली शिनाख़्त👹 👉सबसे पहले आप हज़रात हदीस मुलाहजा फ़रमाए:- “रसूलुल्लाह ﷺ‎ ने फ़रमाया क्या फ़ाजिर के ज़िक्र से बचते हो, उसको लोग कब पहचानेंगे फ़ाजिर का ज़िक्र उस चीज़ के साथ करो जो उसमें है ताकि लोग उससे बचें। 📕क़ानूने शरीअ़त' भाग 2, पेज नंबर २७६) 👉अब समझना चाहिए कि बद अक़ीदा लोगों का ज़रर से बहुत जायद है फ़ासिक से अकसर दुनियां का ज़रर होता है और बदमज़हब से तो दीन ईमान की बरबादी का ज़रर है और बदमज़हब अपनी बदमज़हबी फैलाने के लिए नमाज़ रोज़ा की बज़ाहिर खूब पाबन्दी करते हैं ताकि उनका बकार लोगों में क़ायम हो फिर जो गुमराही की बात करेंगे उनका पूरा असर होगा। लेहाज़ा ऐसों की बदमज़हबी का इज़हार फ़ासिक के फ़िस्क़ के इज़हार से ज़्यादा होगा। लेहाज़ा ऐसों की बदमज़हबी का इज़हार फ़ासिक के फ़िस्क़ के इज़हार से ज़्यादा अहम है उसके बयान करने में हरगिज़ दरेग़ न करें। ✒️मौलाना शमसुद्दीन अहमद जाफ़री रिज़वी जौनपुरी साहब) 👉वहाबी एक बेदीन फिर्क़ा है जो मह़बूबाने खुदा ﷺ‎ की ताज़ीम से जलता है और तरह-तरह के हीलों से उनके ज़िक्र व ताज़ीम को मिटाना चाहता है। “इब्तिदा उसकी इब्लीसे लाईन से ...

Namaz me Yoga kese hoti h ? | Yoga aur Namaz | | Physical fitness

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बेशक योगा कई बीमारियों से जिस्म की हिफाज़त करता है और नमाज़ सबसे बड़ा योगा है। अगर रोज 5 वक़्त की नमाज़ सुकून और त्वज्जो के साथ सही तरीके से अदा की जाए तो कोई अलग से योगा करने की ज़रूरत नही पड़ेगी। नमाज़ में हमारे ज़िस्म के हर हिस्से की एक्सरसाइज होती है सुबह फ़ज्र से लेकर रात ईशा की नमाज़ तक। अल्लाह ने अपनी इबादत में भी इंसानों की भलाई छिपा रखी है बस इंसान अमल नही करता। दिन में 5 बार नमाज़ से पहले वज़ु किया जाता है जिससे बॉडी सेनेटाइज होती है । नाक के अंदर पानी डाल जाता है जिससे फ़्लू का खतरा कम होता है। नमाज़ में एक खास पॉइंट पर ही नज़र रखनी होती है जो मेडिटेशन का काम करती है। रुकू की हालत में जिस्म 90 डिग्री पर मुड़ता है जिससे कन्धा, पेट,  कमर, गुर्दे और घुटने की बीमारियों में शिफा होता है, कैलोरी बर्न होती है पेट की चर्बी कम होती है , गठिया रोग से हिफाज़त होती है। सजदे की हालत में पैर की उंगलियां मुड़ी हुई होती है जो बॉडी को एक्यूप्रेशर करती है फेफड़ों को आराम मिलता है,  खून ब्रेन तक पहुचता है जितना लम्बा सजदा उतना दिमाग स्वस्थ रहेगा। सलाम में सीधा बैठ कर गर्दन दोनो तरफ मोड़ने...