वहाबिया की इज्माली शिनाख़्त
👹वहाबिया की इज्माली शिनाख़्त👹
👉सबसे पहले आप हज़रात हदीस मुलाहजा फ़रमाए:-
“रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया क्या फ़ाजिर के ज़िक्र से बचते हो, उसको लोग कब पहचानेंगे फ़ाजिर का ज़िक्र उस चीज़ के साथ करो जो उसमें है ताकि लोग उससे बचें।
📕क़ानूने शरीअ़त' भाग 2, पेज नंबर २७६)
👉अब समझना चाहिए कि बद अक़ीदा लोगों का ज़रर से बहुत जायद है फ़ासिक से अकसर दुनियां का ज़रर होता है और बदमज़हब से तो दीन ईमान की बरबादी का ज़रर है और बदमज़हब अपनी बदमज़हबी फैलाने के लिए नमाज़ रोज़ा की बज़ाहिर खूब पाबन्दी करते हैं ताकि उनका बकार लोगों में क़ायम हो फिर जो गुमराही की बात करेंगे उनका पूरा असर होगा।
लेहाज़ा ऐसों की बदमज़हबी का इज़हार फ़ासिक के फ़िस्क़ के इज़हार से ज़्यादा होगा।
लेहाज़ा ऐसों की बदमज़हबी का इज़हार फ़ासिक के फ़िस्क़ के इज़हार से ज़्यादा अहम है उसके बयान करने में हरगिज़ दरेग़ न करें।
✒️मौलाना शमसुद्दीन अहमद जाफ़री रिज़वी जौनपुरी साहब)
👉वहाबी एक बेदीन फिर्क़ा है जो मह़बूबाने खुदा ﷺ की ताज़ीम से जलता है और तरह-तरह के हीलों से उनके ज़िक्र व ताज़ीम को मिटाना चाहता है।
“इब्तिदा उसकी इब्लीसे लाईन से है कि अल्लाह अज्जवजल' ने ताज़ीम सैयदना हज़रत आदम अलैहिस्सलातो वस्सलाम' का हुक्म दिया और उस मल्ऊन ने न माना? और ज़माना इस्लाम में उसका हादी ज़ुल-ख़ुवैसरा तमीमी हुआ जिसने हुज़ूरे अक़दस ﷺ के सामने रू-ब-रू हुज़ूर ﷺ की शाने अरफ़ा में कलिमए तौहीन कहा।
“उसके बाद एक पूरा गिरोह ख़्वारिज का उस तरीक़ पर चला जिनको अमीरुल मोमिनीन मौला अली कर्रमल्लाहु तआला वज्हहू' ने क़त्ल किया? लोगों ने कहा हम्द अल्लाह को जिसने उनकी नजासतों से ज़मीन को पाक किया? अमीरुल मोमिनीन रज़ि०) ने फ़रमाया यह मुन्क़ता नहीं हुए, अभी उन में के माओं के पेटों में है, बापों की पीठों में है, जब-जब उन में एक संगत काट दी जाएगी दूसरी सर उठाएगी यहाँ तक कि उनका पिछला गिरोह दज्जाल के साथ निकलेगा।
📕बुख़ारी शरीफ़ )
📚फैज़ाने आला हज़रत' पेज नंबर 470)
👉इस हदीस के मुताबिक हर ज़माना में यह लोग नए नाम से ज़ाहिर होते रहे यहाँ तक कि बारहवीं सदी के आख़िर में इब्ने अब्दुल वहाब नजदी' उस फिर्क़ा का सरग़ना हुआ और उसने (किताबुत-तौहीद) लिखी और तौहिदे इलाही अज्जवजल' के पर्दे में अंबिया व औलिया अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम' और खुद हुज़ूरे अक़दस सैयदुल-अनाम अलैहि अफ़्ज़लुस्सलातु वस्सलाम' की तौहीन दिल खोल कर की, उसकी तरफ़ निस्बत करके उस गरोह का नाम नज्दी वहाबी हुआ।
🤔बानी फ़ित्ना वहाबियत👇
👉हिन्दुस्तान में इस फ़ित्ना मल्ऊना को इस्माईल देहलवी ने फैलाया, (किताबुत-तौहीद) का तरजमा किया उसका नाम (तक़्वियतुल ईमान) रखा, दिली अक़ीदा वह है जो (तक़्वियतुल ईमान) में कई जगह साफ लफ़्जो में लिख दिया कि अल्लाह के सिवा किसी को न मान औरों का मानना महज़ ख़ब्त है” उसके मुत्तबईन जो गरोह अक़ाइद में सब एक हैं मगर आमाल में यूं मुतफ़र्रिक़ हुए कि_
एक फ़िर्का ने तक़्लीद को भी तर्क किया और खुद अहले हदीस बने यह गैर मुक़ल्लिद वहाबी हैं, इनका सर गरोह नज़ीर हुसैन देहलवी और कुछ पंजाबी बंगाली थे और हैं।
और मुक़ल्लिद वहाबियों के सर गरोह रशीद अहमद गंगोही, और क़ासिम नानौतवी, और अब अशरफ़ अली थानवी।
🖕जो इन लोगों को अच्छा जाने या (तक़्वियतुल ईमान) वग़ैरा उनकी किताबों को माने या उनके गुमराह बद-दीन होने में शक करे वह वहाबी है।
👉मुनाफ़िक़ों बदमज़हब और गुमराह फिरको की पहचान 👇
👹वहाबी की अलामत हदीस में इरशाद हुई कि:-
ज़ाहिरन शरीअत के बड़े पाबन्द बनेंगे, तुम अपनी नमाज़ को उनकी नमाज़ के आगे हकीर (कम्तर) जानोगे और अपने रोज़ों को उनके रोज़ों के आगे और अपने आमाल को उनके आमाल के आगे, क़ुरआन पढ़ेंगे मगर उनके गले से नीचे न उतरेगा यानी दिल में उसका कुछ असर न होगा, बातें बज़ाहिर अच्छी करेंगे।
👉और एक रिवायत में है हदीस, हदीस बहुत पुकारेंगे, बईं हमा हाल यह होगा निकल जाएंगे दीन से ऐसे जैसे तीर निकल जाता है निशाना से, फिर लौट कर दीन में न आएंगे, उनकी अलामत सर मुन्डाना होगी, तहबन्द या पाइजामे और शल्वारों के पायेंचे टख़नों से बहुत ऊँचे रहेंगे, उनकी ज़बाने शकर की तरह मीठी होंगी मगर दिल भेड़ियों से ज़्यादा सख़्त और बुरे होंगे, सूरत व शक्ल से बड़े पारसा नेक मालूम होंगे मगर दीन से इस तरह अलग और बेगाना होंगे जैसे तीर अपने शिकार से निकल जाता है, ये लोग खुद बुरे होंगे और बुराई ही फैलायेंगे।
📚बुख़ारी व मुस्लिम शरीफ़ 👇
📗बुख़ारी शरीफ़' जिल्द 2, कितालिल खवारिज सफहा 1024)
📕बुखारी शरीफ' जिल्द 2, किताबुल मग़ाज़ी सफहा 633)
📗बुख़ारी शरीफ़' जिल्द 1, किताबुल अम्बिया सफहा 471)
📕बुखारी शरीफ' जिल्द 2, बाब सफहा 1128)
📚हदीसों की रौशनी' पेज नंबर 170+171+173)
📚फ़तावा रज़्वीया' जिल्द 11, स० 37/38)
📚फैज़ाने आला हज़रत' पेज नंबर 470)
📚मुजरिम अदालत में' पेज नंबर 96)
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🔥गुमराह कुन किताबें🔥
1) हिफ़जुल ईमान) अशरफ अली थानवी,
2) फ़तावा रशीदिया) रशीद अहमद गंगोही,
3) आबे हयात) क़ासिम नानोतवी,
4) तहज़ीरुन्नास) क़ासिम नानोतवी,
5) बराहीने क़ातेआ) ख़लील अहमद अंबेठवी,
6) बहिश्ती ज़ेवर) अशरफ अली थानवी,
7) तक़वियतुल ईमान) इसमाईल देहलवी,
8) सिराते मुस्तकीम) इसमाईल देहलवी,
9) किताबुत्तौहीद) मो० बिन अब्दुल वहाबद नजदी,
10) तफ़सीर बेलुग़तिल हिरान) हुसैन अली वाँ बछरानी,
11) तसफियतुल अ़काईद) क़ासिम नानोतवी,
12) रिसालतुल इमदाद) अशरफ़ अली थानवी,
13) तज़किरतुल रशीद) मौल्वी आशिक़ इलाही मेरठी,
14) मुख़तसर सीरते नबवीया) अब्दुल शकूर काकोरवी,
15) तज़किरतुल ख़लील ,
16) अशरफुसवानेह ,
17) अलइफ़ाज़ातुल योमिया,
18 हसनुल अज़ीज़ ...?
☝मुंदरजा बाला किताबे वही हैं जिसमें गैबदाँ रसूल ﷺ और औलियाए उम्मत बुज़ुर्गाने दीन के तअल्लुक़ से बड़ी फ़य्याज़ी के साथ गुस्ताख़ियां की गई है और नादार व ना अहेल हज़रात ने ज़बरदस्त गुस्ताख़ियाँ की है लिहाज़ा सहीहुल अक़ीदा मुसलमान हमेशा इन किताबों से अपनी बेज़ारी का अमल जारी रखें और जुमला मुसलमानों से इन किताबों की खामियों और गलतियों का तज़किरा करके बचने की तलक़ीन करें।
✒️मौलाना सिराजुल क़ादरी बहराइची)
📚मुजरिम अदालत में' पेज नंबर 98)
👉उलमाए किराम हरमैन शरीफ़ैन ने बिल इत्तिफ़ाक तहरीर फ़रमाया है कि यह लोग इस्लाम से खारिज़ है और फ़रमाया है जो उनके काफ़िर होने में शक करे वह भी काफ़िर है, उनकी कोई बात न सुनी जाए, न उनकी किसी बात पर अमल किया जाए जब तक अपने उलमा से तहक़ीक़ न कर लें।
🌹रसूलुल्लाह ﷺ फ़रमाते हैं उन से दूर भागो और उन्हें अपने से दूर करो कहीं वह तुम को गुमराह न कर दें, कहीं वह तुम को फ़ित्ना में न डाल दें।
📕बुख़ारी व मुस्लिम शरीफ़)
📚फैज़ाने आला हज़रत' पेज नंबर 470/477)
🌹सरकारे दो आ़लम नूरे मुजस्सम शहनशाहेउमम महबूबे रब्बे अकरम ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया अल्लाह अज्जावजल्ला की क़सम! अगर अल्लाह तआला तुमहारे ज़रीये किसी एक को भी हिदायत दे दे तो येह तुम्हारे लिये सुर्ख ऊंटों से बेहतर है।
और फ़रमाया: जो शख़्स मेरी उम्मत तक कोई इस्लामी बात पहुंचाएं ताकि उस से सुन्नत काइम की जाए या उस से बद मज़हबी दूर की जाए तो वोह जन्नती हैं।
📗नेक बनने और बनाने के तरीक़े' पेज, 367/368)
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➤अंदाज़-ए-बयाँ गरचे बहुत शोख़ नहीं है,
शायद कि उतर जाए तिरे दिल में मिरी बात।
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👤मुझे अपनी और सारी दुनिया के लोगो के इस्लाह की कोशिश करनी है. إن شاء الله عزوجل
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👉“बराये करम इस पैग़ाम को शेयर कीजिये अल्लाह आपको इसका अजर–ए–अज़ीम ज़रूर देगा आमीन..,_(►जज़ाकअल्लाह खैरन◄)
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✍अपने नेक दुआओ में
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